जय हिन्द न्यूज/जालंधर
पंजाब में अलगाववाद की बातें करने वाले भाई अमृतपाल सिंह के खिलाफ जारी पंजाब पुलिस के एक्शन के बीच कनाडा से डिपोर्ट किए 700 स्टूडैंट्स का भविष्य खराब करने वाले ट्रैवल एजैंट को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। जानकारी मिली है कि मोटी रकम लेकर फेक एक्सपीरिएंस लैटर्स के आधार पर 700 स्टूडैंट्स को कनाडा भेजने वाले फर्जी ट्रैवल एजैंटों वाले मिश्रा गैंग पर जालंधर पर संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
स्टूडेंट्स को डिपोर्ट करने के मामले से चर्चा में आए बिहार के दरभंगा के थलवाड़ा के रहने वाले बृजेश मिश्रा, उसके साथी गुरनाम सिंह वासी चीमा नगर एक्सटेंशन जालंधर और राहुल भार्गव वासी कबीर एवेन्यू (लद्देवाली) जालंधर के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 420, 465, 467, 468, 471 व 120बी के तहत केस दर्ज किया गया है।
सिटी पुलिस ने यह मामला थाना-6 में दर्ज किया गया है। सीपी कुलदीप सिंह चाहल ने मामले की जांच एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के इंचार्ज को सौंप दी है। पुलिस को दी शिकायत में जगराज सिंह ने कहा था कि बेटी सिमरत कौर को कनाडा भेजना चाहता थे। उसने बीएससी की हुई है। ग्रीन पार्क स्थित एजुकेशन इमिग्रेशन सर्विस के बृजेश मिश्रा से मिले थे।
शिकायत के मुताबिक बेटी के स्टडी के डॉक्यूमेंट देखने के बाद आरोपियों ने कहा था कि वह उनकी बेटी को कनाडा भेज देगा। 17 लाख में सौदा तय हो गया था। मिश्रा ने ऑफर लेटर मंगवा दिया, मगर स्टूडेंट को कॉलेज पसंद नहीं आया था। मिश्रा ने कहा था कि टेंशन ने लें, बेटी का मेडिकल करवाए। नया लेटर ऑफर मंगवा दिया गया। इसके एवज में 65 हजार रुपए लिए थे और फाइल अंबेसी में जमा करवाने को दे दी।
शिकायत के मुताबिक 18 मार्च 2019 को मिश्रा के दफ्तर से लड़की को ई-मेल पर बताया गया कि उसका वीजा आ गया है तो पेमेंट 15.25 लाख रुपए जमा करवा दे। इस बीच लड़की को एंबेसी से एक लेटर आई कि उनका ऑफर लेटर फर्जी है। इसलिए पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है। खुलासा हुआ कि फीस तक जमा नहीं करवाई गई थी। आरोप है कि इसके बाद मिश्रा ने शिकायतकर्ता का फोन उठाना बंद कर दिया।
प्राथमिक जांच में कहा गया कि मिश्रा ने एक साजिश के तहत अपने साथी गुरनाम सिंह और राहुल के साथ मिलकर फर्जी ऑफर लेटर देकर ठगी की है। बता दें कि 4 दिन पहले कनाडाई सीमा सुरक्षा एजेंसी (सीबीएसए) ने उन 700 से अधिक भारतीय छात्रों को डिपोर्ट करने का नोटिस जारी किया है, जिनके शैक्षणिक संस्थानों को दाखिले के ऑफर लेटर फर्जी पाए गए थे। आरोप है कि ज्यादातर स्टूडेंट मिश्रा के जरिये कनाडा गए थे। डीसी ने एजुकेशन माइग्रेशन सर्विसिस का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था।
जांच में यह बात आ रही है कि मिश्रा करीब 15 साल ग्रीन पार्क में अपना कबूतरबाजी का नेटवर्क चला रहा था। वह 2013 में उस समय चर्चा में आया था, जब पुलिस ने उसे और उसके दो साथी पकड़े थे। मिश्रा नाम बदल कर नया लाइसेंस ले लेता था, क्योंकि उसकी प्रशासन और पुलिस में अच्छी सेटिंग थी। इसी कारण वह अपना रैकेट आसानी से चलाता रहा और स्टूडेंट्स से ठगी करता रहा। अब देखना शेष है कि पिछली बार मक्खन से बाल की तरह केस से निकाल दिया गया मिश्रा अब खुद को बचाने के लिए क्या पैंतरा अपनाता है।